Saturday, January 25, 2014

( भादों माह ) चतुर्थी की कहानी

एक साहूकार था | उसके चार लड़का था और चार बहु थी | सासु उपवास व्रत कुछ भी नही करने देती थी तो सबने अपने आदमी से बोला कि आपकी माँ को पियर छोड़ दो हम  उपवास , व्रत , धर्म ,पुण्य तो सुख से करांगा ,तो उसने अपनी माँ को पीयर  भेज दी अब सभी बहुओ ने चौथ माता की पूजा करी | चंद्रमा  में देर थी तो वे सब सो गई तो चंद्रमा बहुत ऊपर चढ़ आया थोड़ी देर बाद छोटी बहु कि नींद खुली,तो चंद्रमा का नाम नही आ रहा तो वह सब  जेठानी का कमरा का पास जाकर आवाज लगाई बड़ा भाभीजी  कोण्डलियो छोटा भाभीजी  कोण्डलियो
घर में चोर आया हुआ था |उस चोर का नाम भी कोण्डलियो था | वह समझा कि उसने मुझे पहचान लिया वो सीधा कचहरी गया  और बोला कि साहूकार का बेटा  कि बहु तो सब जानती है उसने तो मेरा नाम ही बता दिया तो थानेदार ने कहा जाओ उस साहूकार को बुलाकर लाओ  साहूकार आया तो उससे पुछा कि तेरी बहु जानकार  है उसने चोर का नाम तक बता  दिया अब बहु को बुलाकर लाओ बहु आई तो पूछा तू तो बहुत जान कार है चोर का नाम तक बता दिया वा बोली कि मेरे को तो मालुम भी नही की चोर का नाम कोण्डलियो  है में तो चंद्रमा का नाम भूल गई थी तो कोण्डलियो कोण्डलियो आवाज लगाई तो मालूम  हुयो कि चोर का नाम कोण्डलियो  है इस बात पर राजा  ने उसके बहुत सो धन दियो और घर में भी चौथ माता टूटी
अब वो साहूकार ने अपनी ओरत  से बोल्यो कि तुम तो बाहर बैठो बहुओ के रसोई सोपो, आया गया के मुठ्ठी दो यो सब धन बहु का  भाग से बचो है नही तो सब चोर ले जाता |है चौथ माता उसके टूटी जैसी सबको टुटजो |

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