Thursday, October 10, 2019

लक्ष्मी जी की कहानी

एक साहुकार था उसकी एक लडकी थी।वह रोज पीपल मे पानी डालने जाती थी पीपल के वृक्ष मे से लक्ष्मी जी नीकलती और बोलती आम्बा केरी बिजली,सावन केरी तीज, गुलाब केरो रंग ऐसा लक्ष्मी को रूप फुलती निकलती।साहुकार की बेटी से कहती की तु मेरी सहेली बन जा तो उसने कहा मे पिताजी से पुछ कर बनुगी दुसरे दिन उसने पिताजी को सारी बातें बताई तो पिताजी ने कहा वह तो लक्ष्मी जी हैं वह कहे तो बन जा अब वह लक्ष्मी जी की सहेली बन गई एक दिन लक्ष्मी जी ने सहेली को जीमने के लिए बुलाया सहेली ने पिताजी को बताया और चली गई लक्ष्मी जी ने सोना का चोक बिछाया और छत्तीस प्रकार का पकवान बनाया और सहेली को खिलाया जब वह जीम कर जाने लगी तो लक्ष्मी जी ने साडी का पल्ला पकड लीया और बोली कि मे भी तेरे घर जीमने आऊँगी वा बोली कि आप सबेरे आना अब घर जा कर वा उदास बैठ गई पिताजी बोले बेटी उदास क्यो हैं तो उसने कहाँँ लक्ष्मी जी सबेरे जीमने आयेगी लक्ष्मी जी ने तो मेरी बहुत मेहमान नवाजी करी थी और मेरे पास तो कुछ भी नहीं हैपिताजी ने कहा इतनी फिकर क्यो करे हैं जो अपने घर में है वही रसोई जीमाजे तू गोबर से लीपकर चोक माँडकर दिया जलाकर लक्ष्मी जी को नाम लेकर बैठ गई अब  एक चील कही से नौ लखा हार उठाकर लाई और साहुकार के घर में डाल दिया अब साहुकार की बेटी ने उसमे से एक मोती निकाल कर बेच दिया और उससे सोना की चोकी ,छत्तीस तरह का पकवान ले आई  अब आगे आगे गणेश जी और उसके पिछे लक्ष्मी जी आये  लडकी ने पाटा बिछाया और बोली सहेली इस पर बैठ जा वह बैठ गई उसने लक्ष्मी जी को प्रेम से भोजन कराया अब लक्ष्मी जी जाने लगी  उसने कहा मै बहार होकर आऊ जब तक यही बैठ जे अब वा लडकी गई तो वापस ही नही आई लक्ष्मी जी वहा बैठी रह गई और उसके घर में बहुत धन हो गया हे लक्ष्मी माता उस साहुकार केए पाटा पर बैठी वेसी सबके पाटा पर बैठ जे  

x

Thursday, October 3, 2019

बुद्ध अष्टमी की कहानी

एक ब्राह्मण के बुद्ध नाम का बेटा और बुद्धनी नाम की बेटी थी। वह सब लोगो का गेहूँ पीसती और उसमे से पाव भर आटा नीकाल लेती ।एक दिन बुद्धनी ने अपनी माँ से बोला ये काम अच्छा नही है आप पावभर आटा चोर कर रख ले ती हो अब एक बार बुद्धनी की माँ पीयर गई और बुद्धनी को बोल कर गई की जो भी गेहूँ पीसाने आये उसमे से पावभर आटा नीकाल लेना पर बुद्धनी ऐसा नही करा उसने पूरा आटा दे देती थी अब उसकी मां पीयर से आई तो सब लोग उसे चोटी बोलने लगे  अब उससे कोई भी गेहूँ नही पीसवाता ,अब उसने बुद्धनी को बहुत मारा और घर से बाहर निकाल दिया और लडका के सपना दिया की तेरी बहन की कुत्ता से शादी कर दे लडका ने बुद्धनी की कुत्ता से शादी कर दी अब सब लोग हँसने लगे की चोरनी की लडकी की शादी कुत्ता से हो रही हैं तब भगवान ने कुत्ता का रूप छोडकर असली रूप में आ गये तब सब लोगो को आशचर्य हुआ अब भगवान एक कोठरी की चाबी दे दी और दुसरी कोठरी की चाबी नही दी अब लडकी ने जीद करके चाबी ले ली और खोल कर देखा तो बुद्धनी की माँ कीडे के कुण्ड मे पडी थी उसने भगवान से कहा मेरी माँ को मुक्ति दे दो यह तो अपने करम को भोग रही हैं तब भगवान ने उसको मुक्ति दी और बैकुन्ठ मे भेज दिया और सारे गावँ मे ढिडोरा पीट दिया कि कोई भी काम करो पर उसमे चोरी मत करो नही तो बुद्धनी की माँ जैसा हाल हो जाये गा।हे भगवान बुद्धनी की माँ की मुक्ति करी वेसी सबकी करजो।

Tuesday, October 1, 2019

बुद्ध अष्टमी के व्रत की विधी

शुक्ल पक्ष में बुधवार की अष्टमी के दिन यह व्रत करते हैं आठ अष्टमी होने के बाद इसका उघापन करते हैं सोने की मुर्ति बनवाकर उसकी पूजा करनी चाहिए आठ दिन उपवास करके आठ फल चढाना इसके बाद आठ आठ तरह की सब चीज देना चाहिए।जैसे गोमुखी माला छत्री चप्पल कपडा आदी।