Thursday, October 3, 2019

बुद्ध अष्टमी की कहानी

एक ब्राह्मण के बुद्ध नाम का बेटा और बुद्धनी नाम की बेटी थी। वह सब लोगो का गेहूँ पीसती और उसमे से पाव भर आटा नीकाल लेती ।एक दिन बुद्धनी ने अपनी माँ से बोला ये काम अच्छा नही है आप पावभर आटा चोर कर रख ले ती हो अब एक बार बुद्धनी की माँ पीयर गई और बुद्धनी को बोल कर गई की जो भी गेहूँ पीसाने आये उसमे से पावभर आटा नीकाल लेना पर बुद्धनी ऐसा नही करा उसने पूरा आटा दे देती थी अब उसकी मां पीयर से आई तो सब लोग उसे चोटी बोलने लगे  अब उससे कोई भी गेहूँ नही पीसवाता ,अब उसने बुद्धनी को बहुत मारा और घर से बाहर निकाल दिया और लडका के सपना दिया की तेरी बहन की कुत्ता से शादी कर दे लडका ने बुद्धनी की कुत्ता से शादी कर दी अब सब लोग हँसने लगे की चोरनी की लडकी की शादी कुत्ता से हो रही हैं तब भगवान ने कुत्ता का रूप छोडकर असली रूप में आ गये तब सब लोगो को आशचर्य हुआ अब भगवान एक कोठरी की चाबी दे दी और दुसरी कोठरी की चाबी नही दी अब लडकी ने जीद करके चाबी ले ली और खोल कर देखा तो बुद्धनी की माँ कीडे के कुण्ड मे पडी थी उसने भगवान से कहा मेरी माँ को मुक्ति दे दो यह तो अपने करम को भोग रही हैं तब भगवान ने उसको मुक्ति दी और बैकुन्ठ मे भेज दिया और सारे गावँ मे ढिडोरा पीट दिया कि कोई भी काम करो पर उसमे चोरी मत करो नही तो बुद्धनी की माँ जैसा हाल हो जाये गा।हे भगवान बुद्धनी की माँ की मुक्ति करी वेसी सबकी करजो।

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