Thursday, January 16, 2014

ऋषी पंचमी की कहानी


एक माँ  बेटा था , वे बहुत ही गरीब थे | बेटा  रोज जंगल में जाकर के लकड़ी लातो और बेचकर  घर चलातो | अब भादवा को महीनो आयो , ऋषी पंचमी को दिन आयो , तब वो बेटो माँ से बोल्यो -----माँ सब अपनी बहन से राखी बंधवावे है , में  भी बहन के घर जाऊॅ राखी बंधवाने | तब वा माँ बोली ----बेटा अपन तो बहुत गरीब है ,तू बहन के घर कोई चीज लेकर जावेगो ? माँ ये लकड़ी का पैसा है | अब वो लकड़ी  का पैसा लेकर गया तो रास्ता में चोर ने उससे पैसा छीन कर उसको मारकर रास्ता में ही पटक दिया | जब ऋषी ने मन में विचार कियो कि अपन इसके जीवित नही करुगा तो अपनी बात कोई नही मानेगा |
जब ऋषी  ने अमृत का छाटा देकर उसको जीवित कर दिया तो वह वापस अपने घर जाने लगा तब वे ऋषी बोल्या कि तू बहन के यहाँ क्यों नही जावे है , तो वो  लड़को बोल्यो कि महाराज बहन के यहाँ खाली हाथ कैसे जाऊ , म्हारा पैसा तो चोर ले गया | सूना हाथ बहन से राखी कैसे बंधाऊगा  जब ऋषी ने एक लकड़ी दी और कहा कि बहन राखी बांधे तो या लकड़ी थाली में डाल देना | अब भाई बहन के घर गयो बहन सूत कात रही थी | भाई जाकर खड़ो हो गयो और बहन सूत काटती रेवे |सूत को तार लव तक नही जोड़े बहन भाई से बोले नही | तब भाई ने बहुत ही बूरो लग्यो और भाई वापस घर जाने लगा |इतना में ही सूत का तार जोड़कर बहन ने भाई को बुलाया और बहन बोली में तो तेरा ही रस्ता देख रही थी , कई  करू मेरा सूत का तार जुड़े नही और में थारे से बोलू नही |   बाद में भाई के पाटा पर बिठाकर राखी बाँधी तो भाई ने  थाली में एक लकड़ी डाल दी | देवरानी , जेठानी हसने लगी तो वा लकड़ी एकदम सोना की सांखली देखकर चकित हुआ है | वा  अपनी जेठानी  से पूछने लगी कि काई रसोई बनाऊ जब वा जेठानी बोली कि थारे भाई बहुत दूर से और बहुत दिन में आयो है , घी में चावल बना ले | वा बहन तो भोली थी उसने घी में चावल डाल कर  चढ़ा दिया अब दो घंटा हो गया जब भी चावल सीजे नही जब वो भाई बोल्यो कि बहन घी में चावल नही बने तू तो दूध ला और खीर बनाकर सबके थाली परोस दे अब सब लोगो ने खाना खाया |
भाई सुबह जाने लग्यो , बहन अंधेरा में उठकर ही लाडू करने के लिए गेहू पीसने लगी और लड्डू बनाकर भाई के साथ रख दिए अब थोड़ी देर में बच्चा उठ गया और उजालो भी होने लग्यो तो बच्चा बोल्या माँ मामा को जो लड्डू दिए वो मेरे को भी दो jb वा लड्डू देखे तो उस में साँप का छोटा छोटा टुकड़ा था वैसे ही भाई के पीछे दोड़ी तो उसने भाई को दूर से ही आवाज लगाई भाई रूक जा , भाई रूक गया जब भाई बोल्यो कि म्हारे पीछे क्यों आई मे तो घर से खली हाथ आयो हूँ नही मे तो तेरी जान बचने आई हूँ मेने जो लड्डू दिए थे उसमे साप पिसा गया था उसने उसके हाथ से वह लड्डू लेकर फेक दिए और भाई को साथ लेकर घर आ गई और दो तिन दिन बाद  उसको जाने दिया |
हे ऋषी देवता उसके भाई को टूट्या ऐसा सबके टुटजो कहता सुनता, हुंकारा भरता |            

No comments:

Post a Comment