Saturday, March 15, 2014

(बैशाख माह) चतुर्थी की कहानी

एक साहूकार थो , उसका एक बेटा और एक बहु थी तो वा रोज रोटी बनाकर जीम कर बाहर आती तो पड़ोसन पूछती बहु कई  जिम्या तो वो बोली ठंडो-- बासो | ऐसा करते करते बहुत दिन हो गया | एक दिन उस साहूकार का बेटा ने सुन्यो तो वो बोल्यो कि माँ आज तो मेहमान आवेगा,सो अच्छा--अच्छा भोजन बनाओ तो माँ ने अच्छा अच्छा पकवान बनाया और बेटा से बोली कि बुला थारा मेहमान के | जब वो बोल्यो माँ चार थाली लगाओ अपन ही मेहमान है चारो जना साथ जीमने बैठ्या | जीमकर बाहर निकली कि बहु जिमी हां पड़ोसन जिमी , कई जिमी तो बहु बोली ठण्डी बासी | तब वो लड़को बोल्यो आज तो म्हारा साथ मे जीमने बेठी काई बात है ? जब वो अपनी औरत से बोल्यो कि तू रोज या काई बात बोले है कि ठंडो --बासी जब वा बोली कि आपकी कमाई नही , आपका बाप कि कमाई नही या तो बड़ा बूढ़ा कि कमाई है ,जिस दिन आप कमाओगा उस दिन ताजा भोजन होवेगा |
 एक दिन वो लड़को बोल्यो कि माँ में तो विदेश कमाने जाऊगा | माँ ने मना कियो कि बेटा अपना घर में ही खूब धन है तू बाहर मत जा |तो भी वो लड़का माना नहीं और विदेश चला गया और अपनी औरत के बोल के गया कि मे जब तक नही आउ तब तक दिया कि और चूल्हा दोनों की आग नही बुझनी चाहिए | अब एक दिन दोनों कि आग बुझ गई तो वा दौड़ी--दौड़ी  पड़ोसन के यहा आग लेने गई तो पड़ोसन चौथ कि पूजा कर रही थी , तो  बहु बोली कि म्हारे जल्दी से आग दे दो म्हारी सासू आवेगी तो लड़ेगी और म्हारा घर वाला कमाने बहार गया है वा बहु बोली कि चौथ कि पूजा से कई होवे ? वा बोली पूजा से अन्न होय,धन्न होय ,लक्ष्मी होय ,बर्कत होय, निपुत्र के पुत्र होय ,बिछड़ा ने मेल होय |तब बहु बोली कि म्हारे कैसे मालूम पड़ेगी कि आज चौथ है | म्हारी सासु तो कही भी बाहर नही जाने देवे और म्हारे आदमी भी बाहर गया है अभी तक कोई खबर नही है पड़ोसन बोली कि तू तो चौथमाता को बरत कर और उसी दिन से रोज एक टिपकी दीवाल पर लगा दे | ऐसी तीस टिपकी पूरी हो जाय तो  उस दिन चौथ को बरत कर लीजे जब से वा हमेशा चौथ करती | चौथ का दिन दमड़ी को घी और गुड लाकर अपना घर पर चौथ मांडकर पूजा करती और रात को चंद्रमा को अरग देकर जीमती उसकी सासु  चार टाइम खाना देती थी चौथ का दिन एक टाइम पनिहारी के देती ,एक टाइम पाड़ा के देती , एक टाइम कि बाड़ा में गढ़ा खोद  गाड़ देती और चौथी टाइम कि जीम लेती थी |

अब उसको चौथ करते करते बहुत दिन हो गया एक दिन उसका आदमी के चौथ माता ने सपनो दियो कि मानवी सूतो कि जागे मे तो सूतो भी नी और जागू भी नी चिंता में  मे पड़ा हूँ थारी चिंता मिटा और घर जा वहा पर सब तेरा इन्तजार कर रहे है वो आदमी बोल्यो माता में घर कैसे जाऊ मेरा लेना देना बहुत बाकी है  चौथमाता बोली सुबह उठकर कंकु , केशर का पग लिया ,मांडकर बैठ जाजे तो लेने वाला ले जायेगा  और देने वाला दे जाएगा सुबह उठ कर बैठ गयो लेने वाला ले गया और देनेवाला दे गया |

अब वह अपने घर के लिए निकला रास्ते में एक साँप जलने के लिए जा रहा था उस साहूकार ने उसको हटा दिया सर्प ने कहा मेरी तो उम्र पूरी हो गई थी और मे जलने जा रहा था तब वो बोल्यो कि अभी मत डस म्हारे घर जाने दे सर्प ने कहा वचन दे उसने वचन दिया अब वह घर आयो और आकर उदास बैठ गयो और चुपचाप सो गयो तब वा ओरत बोली कि आप इतना दिन के बाद आये हो तो भी चुपचाप हो क्या बात है  क्या बात है | तब वो आदमी बोलो कि मैं कुछ देर का मेहमान हूँ म्हारा बेरी दुश्मन को सही देकर आयो हूँ वो म्हारे डसेगा  उसकी औरत बहुत तेज थी उसके आदमी के तो नींद आ गई ,वह उठी और अपना बरामदा कि सात सीडी धोई और सजादी पहली पे रेत बिछाई दूसरी पर अबीर ,तीसरी पर फूल  चौथी पर केशर ,पाँचवी पर लड्डू , छठवीं पर गादी , सातवी पर दूध | इस प्रकार सात ही सीडी सजादी आधी रात को फूकरता हुआ आया पहले तो खूब  रेत में लोट लगाई और बोला कि है साहूकार के बेटा कि बहु सुख तो खूब दिया पर वचन को बाँधो हूँ डसो गो तो सही ऐसा उसने सातो ही सीडी चढतो ही गयो और बोलता गया  आगे गयो तो चौथमाता , विनायक ,और चंद्रमा तीनो मिलकर उसकी रक्षा करने लगे चौथ माता ढाल बनी , विनायकजी तलवार ,और चंद्रमाजी ने उजाला करा अब वह सर्प साहूकार के बेटा के पास जाने लगा तो विनायक जी तलवार से उसकी गरदन काट दी और ढाल से ढक दी | तब वा औरत अपना आदमी से बोली चलो अपन चौपड़ पासा खेला , अपना बेरी दुश्मन मर गया है , दोनों जना  चौपड़ पासा खेलने लगे , खेलते  खेलते बहुत देर हो गई | गाँव में बहन रहती थी वा भाई से मिलने आई तो भाई और भाभी दोनों नही उठे तब बहन बोली माँ भाई तो थका हुआ है पर भाभी को क्या हो गया वा भाई के महल में जाने लगी तो खून की नदी बह गई वा चिल्लाई कि माँ भाई को किसी ने मार डाला | बहन कि आवाज सुनकर भाभी बोली कि बाईजी हम तो ज़िंदा है हमारा बेरी दुश्मन मरा है माँ ने वहा सफाई कराकर बेटा बहु को गाजा बाजा के साथ अपने सामने बुलाया , अब सब जना एक जगह बैठ गया भाई बोल्यो माँ मेरे जाने के बाद किसी ने धर्म पुण्य करा था  तब माँ बाप बोले कि हमने कुछ नही  करा जब वा औरत  बोली कि मेने करा था सासु बोली कि मे तो  चार टाइम खाने  टाईमरोटी देती थी तब वा बोली कि आप नही मानो गा तो सबसे पूछ लो सबसे पहले पनिहारी के पास ले गई तो उसने खा हां महीने में एक बार रोटी देती थी फिर पाड़ा के पास ले गई तो  पेप का फूल निकला तीसरी बार बाड़ा में गड़ा खोदकर देखा तो सोना रूपा कि रोटी हो गई अब वा बोली कि चलो साहूकार कि दूकान पर सामान को पूछलो सासु साहूकार के पास गई हां महीने में एक बार दमड़ीका घी और गुड ले जाती थी जब वासासु बहु का पाँव पड़ने लगी |

चेल्यो को पानी मंगरे मत चढ़ाओ, 
मंगरे का पानी चेल्या में आवे है |

सासुजी में आपका पाँव लगूँ आप चौथ माता का पाँव पड़ो | हे चौथ माता बहु के टूट्या जैसे सबके टूटजो कहता,सुनता हूकारा भरता |           
  

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