Sunday, March 16, 2014

गणेशजी की कहानी




एक मेंढ़क - मेंढ़की सरवर कि पाल पर रहते थे मेंढ़क दिनभर टर्र टर्र करता था तो मेंढ़की बोली कि मरया टर्र टर्र क्यों करे जय विनायक , जय विनायक कर |  अब राजा के बेल का पाँव टुट्यो तो सरवर कि पाल को गारा लाकर बरतन में भरकर चढ़ा दियो | उस गारा में मेंढ़क - मेंढ़की दोनों ही आ गया और उबलने लगे मेंढ़क बोला में तो मरने लगा , मेंढ़की बोली मेने तो पहले ही कहा था टर्र टर्र छोड़ जय विनायक बोल तो मेंढ़क जय विनायकजी , जय विनायकजी बोलने लगा तो वह  बरतन  टूट गया और दोनों पाल पर जाकर बैठ गये | है विनायक जी उसको टूटे ऐसे सबको टूटना |

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