Saturday, April 18, 2015

श्री दुर्गाजी की आरती

जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी |
तुमको निश-दिन ध्यावत हरि-- ब्रम्हा -शिवजी || जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी |
मांग सिन्दूर विराजत टीको मृगमदको |
उज्जवल से दोऊ नैना चन्द्रबदन निको || जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी |
कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै |
रक्त पुष्प गलेमाला कण्ठन पर साजै ||  जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी |
केहरि -वाहन राजत खड़ग्-खप्पर धारी |
सुर- नर -मुनि -जन सेवत, तिनके दुःख हारी || जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी |
कानन कुण्डल शोभित  नासाग्रे मोती |
कोटिक चन्द्र दिवाकर सम राजत ज्योति || जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी |
शुंभ -निशुंभ विडारे महिषासुर -धाती |
धूम्रविलोचन नैना निशि -दिन मदमाती || जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी |
चण्ड मुण्ड संहारे , शोणित -बीज हरे |
मधु -कैटभ  दोउ मारे ,सुर भय हिन करे || जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी |
ब्रहाणी ,रूद्राणी तुम कमला रानी |
आगम -निगम बखानी तुम शिव पटरानी || जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी |
चौसठ योगनी गावत , नृत्य करत भैरव |
बाजत ताल मृदंगा और बाजत डमरू || जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी |
तू ही जग की माता तुम ही हो भरता|
भक्तन की दुःख हरता,सुख सम्पति -करता || जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी |
भुजा चार अति शोभित खड्ग -खप्पर धारी |
मनवांछित पहल पावत, सेवत नर -नारी || जय अम्बे गौरी मैया जय श्यामा गौरी |
कंचन थाल विराजत अगर कपूर बाती |
श्री माल केतु में राजत कोटि रतन ज्योति ||
दोहा --- श्री अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावे |
           कहत शिवानंद स्वामी , सुख सम्पति पावे ||   
 

Tuesday, April 14, 2015

आरती ॐ जय जगदीश हरे

ओम जय जगदीश हरे,स्वामी जय जगदीश हरे,
भक्त जनो के संकट क्षण में दूर करे । ओम जय जगदीश हरे
जो ध्यावे फल पावे ,दुःख विनसे मन का,
सुख सम्पत्ति घर आवे ,कष्ट मिटे तन का । ओम जय जगदीश हरे
मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी,
तुम बिन ओर न दूजा,आस करूं जिसकी | ओम जय जगदीश हरे
तुम पूरण परमात्मा तुम अन्तर्यामी,
पार ब्रह्म परमेश्वर ,तुम सब के स्वामी | ओम जय जगदीश हरे
तुम करूणा के सागर ,तुम पालन कर्ता,
मैं मूरख खलकामी, कृपा करो भर्ता | ओम जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर , सबके प्राणपति ,
किस विधि मिळू दयामय , तुमको में कुमति | ओम जय जगदीश हरे
दिन बंधु दुख हरता , तुम रक्षक मेरे ,
अपने हाथ बढ़ाओ द्वार पड़ा तेरे | ओम जय जगदीश हरे
विषय विकार मिटाओ , पाप हरो देवा ,
श्रध्दा भक्ति बढ़ाओ , संतन की सेवा | ओम जय जगदीश हरे
तन मन धन जो कुछ है ,सब तेरा
तेरा तुझको अर्पित , क्या लागे मेरा |  ओम जय जगदीश हरे
ओम जय जगदीश हरे,स्वामी जय जगदीश हरे,
भक्त जनो के संकट क्षण में दूर करे । ओम जय जगदीश हरे |

Sunday, April 12, 2015

श्री सरस्वती जी की आरती

ओम जय विणे वाली मैया जय विणे वाली
ऋद्धि सिद्धि की रहती हाथ तेरे ताली
ऋषि मुनियो की बुद्धि को शुद्ध तू ही करती
स्वर्ण की भाती शुद्ध तू ही करती
 ज्ञान पिता को देती गगन शब्द से तू
विशव को उत्पन्न करती आदि शक्ति से तू
हंस वाहिनी दीजे भिक्षा दशर्न की
मेरे मन में केवल इच्छा दर्शन की
ज्योति जगाकर नित्य यह आरती जो गावे
भव सागर में दुःख में गोता न कभी खावे
 

Saturday, April 11, 2015

हनुमान जी की आरती


आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।
जाके बल से गिरवर कापे

देव पिशाच निकट नही झाके । आरती ...
लंका ऐसे समुद्र अस खाई ।
जात पवन सुत बार न लाये । आरती...
दे बीडा रघुनाथ पठाये ।
लंका जायी सिया सुधि लाये । आरती...
जगमग ज़्योति अवधपुर राजा ।
घंटा ताल पखावज बाजा ।आरती...
शक्ति बाण  लगयो ल॒क्ष्मण को
लाय संजीवनी ल॒क्ष्मण जिआये । आरती ...
पैठि पाताल तोरी यम कारे ।
अहिरावन के भुजा उखारे । आरती...
आरती कीजै जैसी तैसी ।
धुव्रा प्रहलाद विभीषण जैसी । आरती...
सुर नर मुनि जन आरती उतारे,
जय जय जय कपिराज उचारै । आरती...
बाई भुजा सुर असुर संहार
दाहिनी भुजा सब सन्त उबारे । आरती...
लंक प्रज्जवलित असुर संहारे
राजा राम के काज संवारे । आरती...
अंजनी पुत्र महा बलदायक
देव सन्त के सदा सहायक । आरती...
लंक विध्वंस किये रघुराई
तुलसीदास कपि आरती गावे । आरती...
जो हनुमानजी की आरती गावे,
बसि बेकुण्ठ अमर फल पावे । आरती...