Saturday, April 11, 2015

हनुमान जी की आरती


आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।
जाके बल से गिरवर कापे

देव पिशाच निकट नही झाके । आरती ...
लंका ऐसे समुद्र अस खाई ।
जात पवन सुत बार न लाये । आरती...
दे बीडा रघुनाथ पठाये ।
लंका जायी सिया सुधि लाये । आरती...
जगमग ज़्योति अवधपुर राजा ।
घंटा ताल पखावज बाजा ।आरती...
शक्ति बाण  लगयो ल॒क्ष्मण को
लाय संजीवनी ल॒क्ष्मण जिआये । आरती ...
पैठि पाताल तोरी यम कारे ।
अहिरावन के भुजा उखारे । आरती...
आरती कीजै जैसी तैसी ।
धुव्रा प्रहलाद विभीषण जैसी । आरती...
सुर नर मुनि जन आरती उतारे,
जय जय जय कपिराज उचारै । आरती...
बाई भुजा सुर असुर संहार
दाहिनी भुजा सब सन्त उबारे । आरती...
लंक प्रज्जवलित असुर संहारे
राजा राम के काज संवारे । आरती...
अंजनी पुत्र महा बलदायक
देव सन्त के सदा सहायक । आरती...
लंक विध्वंस किये रघुराई
तुलसीदास कपि आरती गावे । आरती...
जो हनुमानजी की आरती गावे,
बसि बेकुण्ठ अमर फल पावे । आरती...

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