Tuesday, April 14, 2015

आरती ॐ जय जगदीश हरे

ओम जय जगदीश हरे,स्वामी जय जगदीश हरे,
भक्त जनो के संकट क्षण में दूर करे । ओम जय जगदीश हरे
जो ध्यावे फल पावे ,दुःख विनसे मन का,
सुख सम्पत्ति घर आवे ,कष्ट मिटे तन का । ओम जय जगदीश हरे
मात पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी,
तुम बिन ओर न दूजा,आस करूं जिसकी | ओम जय जगदीश हरे
तुम पूरण परमात्मा तुम अन्तर्यामी,
पार ब्रह्म परमेश्वर ,तुम सब के स्वामी | ओम जय जगदीश हरे
तुम करूणा के सागर ,तुम पालन कर्ता,
मैं मूरख खलकामी, कृपा करो भर्ता | ओम जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर , सबके प्राणपति ,
किस विधि मिळू दयामय , तुमको में कुमति | ओम जय जगदीश हरे
दिन बंधु दुख हरता , तुम रक्षक मेरे ,
अपने हाथ बढ़ाओ द्वार पड़ा तेरे | ओम जय जगदीश हरे
विषय विकार मिटाओ , पाप हरो देवा ,
श्रध्दा भक्ति बढ़ाओ , संतन की सेवा | ओम जय जगदीश हरे
तन मन धन जो कुछ है ,सब तेरा
तेरा तुझको अर्पित , क्या लागे मेरा |  ओम जय जगदीश हरे
ओम जय जगदीश हरे,स्वामी जय जगदीश हरे,
भक्त जनो के संकट क्षण में दूर करे । ओम जय जगदीश हरे |

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