Saturday, May 16, 2015

श्री अन्नपूर्णाजी की आरती

बारम्बार प्रणाम मैया बारम्बार प्रणाम
जो नहीं ध्यावे तुम्हे अम्बिके , कहाँ उसे विश्राम
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो , लेत होत सब काम
प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर , कालान्तर तक नाम
सुर सुरो की रचना करती , कहाँ कृष्ण कहाँ राम
चुमहि चरण चतुर चतुरानन, चारू चक्रधर शयाम
चन्द्र चुड़ चन्द्रानन चाकर ,शोभा लखहि सलाम
देवी देव। दयनीय दशा में दया दया तब जाम
त्राहि त्राहि शरणागत वत्सल , शरण रूप तब धाम
श्री ही श्रध्द श्री हे एे विघा , श्री कली कमला काम
कांति भ्रांतिमय कांतिं शांति सयोवर देतू निष्काम ।


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