Friday, November 22, 2019

गुरूवार के व्रत की कहानी

किसी गांव में एक साहूकार रहता था। उसका घर धन धान्य से भरपूर था। किसी प्रकार की कोई कमी नहीं थी। उसकी पत्नी बहुत कंजूस थी। किसी प्रकार का दान आदि नहीं करती थी। किसी भिक्षार्थी को भिक्षा नहीं देती थी। अपने काम काज में व्यस्त रहती थी। एक बार एक साधु महात्मा गुरुवार के दिन उसके द्वार पर आये और भिक्षा की याचना करने लगे। वह घर को लीप रही थी। बोली – महाराज अभी तो मैं काम में व्यस्त हूँ , आप बाद में आना। साधु महाराज खाली हाथ लौट गए।कुछ दिन बाद वही साधु महाराज फिर भिक्षा मांगने आये। उस दिन वह अपने लड़के को खाना खिला रही थी। बोली इस समय तो में व्यस्त हूँ , आप बाद में आना। साधु महाराज फिर खाली हाथ चले गए।तीसरी बार फिर आये तब भी व्यस्त होने होने के कारण  भिक्षा देने में असमर्थ होने की बात कहने लगी तो साधु महाराज बोले – यदि तुम्हारे पास समय ही समय हो , कुछ काम ना हो तब क्या तुम मुझे भिक्षा दोगी ?साहूकारनी बोली – यदि ऐसा हो जाये तो आपकी बड़ी कृपा होगी महात्मा बोले -मैं तुम्हे उपाय बता देता हूँ। तुम बृहस्पतिवार के दिन देर से उठना, आंगन में पौंछा लगाना। सभी पुरुषों से हजामत आदि जरूर बनवा लेने को कह देना।स्त्रियों को सर धोने को और कपड़े धोने को कह देना। शाम को अँधेरा हो जाने के बाद ही दीपक जलाना। बृहस्पतिवार के दिन पीले कपड़े मत पहनना और कोई पीले रंग की चीज मत खाना। ऐसा कुछ समय करने से तुम्हारे पास समय ही समय होगा। तुम्हारी व्यस्तता समाप्त हो जाएगी। घर में कोई काम नहीं करना पड़ेगा।साहूकारनी ने वैसा ही किया। कुछ ही समय में साहूकार कंगाल हो गया। घर में खाने के लाले पड़ गए। साहूकारनी के पास अब कोई काम नहीं था , क्योंकि घर में कुछ था ही नहीं।कुछ समय बाद वही महात्मा फिर आये और भिक्षा मांगने लगे। साहूकारनी बोली महाराज घर में अन्न का एक दाना भी नहीं है। आपको क्या दूँ। महात्मा ने कहा – जब तुम्हारे पास सब कुछ था तब भी तुम व्यस्त होने के कारण कुछ नहीं देती थी। अब व्यस्त नहीं हो तब भी कुछ नहीं दे रही हो। आखिर तुम चाहती क्या हो सेठानी हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगी –  महाराज मुझे क्षमा करें। मुझसे भूल हुई। आप जैसा कहेंगे मैं वैसा ही करुँगी। कृपया ऐसा उपाय बताओ की वापस मेरा घर धान्य से भरपूर हो जाये।महाराज बोले – जैसा पहले बताया था उसका उल्टा करना है। बृहस्पतिवार के दिन जल्दी उठना है , आंगन में पोछा नहीं लगाना है। केले के पेड़ की पूजा करनी है। पुरुषों को हजामत आदि नहीं बनवानी है। औरतें सिर ना धोये और कपड़े भी न धोये। भिक्षा दान आदि जरूर देना।शाम को अँधेरा होने से पहले दीपक जलाना। पीले कपड़े पहनना। पीली चीज खाना। भगवान बृहस्पति की कृपा से सभी मनोकामना पूरी होंगी। सेठानी ने वैसा ही किया। कुछ समय बाद उसका घर वापस धन धान्य से भरपूर हो गया।

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