Tuesday, September 24, 2019

गाज माता की कहानी

भादव के महीने में अनंत चौदस के दिन आयो ।एक राजा और रानी थी,एक भील भीलनी थी।एक धोबन आई और रानी व भीलनी दोनो के कपडे लेकर चली गई दुसरा दिन वा कपडा लेकर आई तो दोनो कि साडी आपस में बदल गई जब भीलनी ने रानी की साडी़ पहनी तो रानी ने धोबन से पुछो की मेरी जैसी साड़ी इसके पास कहा से आई और रानी भीलनी के पास गई और पुछयो तब वा बोली म्हारै तो गाज माता टूटी।तब रानी बोली ऐसो करने से काई होवे वा बोली अन्न धन्न लक्ष्मी आवे हैंं
राजा रानी दोनो बरत करने लग्या।भीलनी बोली बरत करने के बाद यो बरत टूटे नही।थोडा दिन बाद रानी के लड़को हुयो गांव में गाजा बाजा हुआ,धूम धाम से उत्सव मनाया पीछे गाज माता को दिन आयो वा पडोसन से पुछने गई कि मे तो छोटा बालक की माँ हूँ रोट खाऊ तो बालक को पेट दुखे।जब वा पडो़सन बोली की कारयो कसार और मोगरयो मगदं करके खा लीजे। गाज माता के बहुत क्रोध आयो,रात का बारह बजे गाजती घोरती आई और रानी को लडको  पालना में से उठाकर ले गई जब रानी ने लडका के पालना में नही दिख्यो तो वा रोने लगी सब बालक के ढूढने लग्या बालक नही मील्यो,रानी बोली भीलनी ने बताओ तब भीलनी आई और उसके पुछयो ,जब भीलनी ने सच बात मालुम पडी तब वा बोली रानी ने बरत भंग करयो हैं अब वही भादव मास आयो अनंत चतुर्दशी को दिन आयो रानी ने कच्चा सूत का डोरा मंगाया और चौदह डोरा गिनकर अपना गला में बाँध लिया दूसरा दिन बडा ठाट बाट से गाज माता की पूजा करी,खीर रोट बनाया और राजा रानी जीम्या हैं अब आधी रात के गाज माता राजा का लडका ने पालना मे लाकर सुला दियो हैं।हे गाज माता उस रानी के टूटी,ऐसे सबके टूटजो कहता ,सुनता हुकारा भरता।अधुरी होय तो पूरी करजो पूरी होय तो मान करजो।

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