एक नगरी में एक ब्राह्मण रहता था एक दिन ब्राह्मण की औरत ने उ| करने का सोचा उस नगरी में सात ऋषि आये थे तो उनको भोजन को निमन्त्रण देकर आ गई और थोडी देर बाद वो पिरियड से हो गई अब वा पडोसन के पास गई और बोली की मेने तो ऋषिजी को जीमने को बोल दिया हैं अब पडोसन बोली की तुतो सात पटिया पर बैठ कर सात बार नहाले और रसोई बनालेउस ब्राह्मण की औरत ने ऐसो ही कियो उसने सब रसोई बनाई और ऋषिजी जीमने आये वे बारह वर्ष मे पलक खोलते थे उस ब्राह्मण की औरत से बोले हम जीमे हम बारह वर्ष मे आँख खोलते हैं कोई आपत्ति नही है, नही है ब्राह्मणी बोली महाराज आप तो पलक खोलो और प्रेम से जीमो झटपट ऋषिजी ने पलक खोली तो भोजन में कीडे थे ऋषिजी ने भोजन में कीडे देख कर दोनो को श्राप दे दिया और बोल्यो कि जाओ अगले जन्म में बैल और कुत्ती बनोगे अब दोनो मर गया और अगले जन्म मे बैल और कुत्ती बने अब दोनो ही बेटे के साथ रहते थे बेटा तो बहुत धर्मात्मा था दान धरम पुण्य ब्राहाम्ण भोजन बहुत करता था अब एक दिन उस लडके ने अपने माँ बाप का श्राद्ध निकाला और ब्राह्मण- ब्राह्मणी
को जीमने को कहाअच्छी तरह से खाना बनाया ओर वह अंदर चली गई इतने में एक सांप की काचली खीर में गिर गई उस कुतिया ने देख ली और उसने बहु को आते देख लिया खीर के बर्तन में मुँह डाल दिया बहु को बहुत गुस्सा आया उसने लकड़ी से खूब मारा और सारी खीर नाली में फेक दी निचे पेंदे में सांप की काचली दिखी तो बहु बहुत पछताई और मन में सोचा की मेने उस कुतिया को जबरन मारा उसने वापस खीर बनाई और ब्राह्मण- ब्राह्मणी को बड़े प्रेम से जिमाया और उस कुतिया को खाना भी नही दिया उधर बैल के मालिक ने भी उसको कुछ खाने को नही दिया अब रात को दोनो जने दरवाजे के बहार बैठ कर आपस मै बात करी कि आज तो अपना श्राद्ध करा और अपने को कुछ भी नही दिया खाने को ये बात बेटा ने सुनी तो आशचर्य हुआ और मन में सोचा कि आज तो अपने विधी विधान से सब करा फिर भी माँ बाप की मु्क्ति नही हुई वह ऋषि के पास गया और बोला इनकी मुक्ति कैसे होगी ऋषि ने कहा महाराज ऋषि पंचमी के दिन होगी
को जीमने को कहाअच्छी तरह से खाना बनाया ओर वह अंदर चली गई इतने में एक सांप की काचली खीर में गिर गई उस कुतिया ने देख ली और उसने बहु को आते देख लिया खीर के बर्तन में मुँह डाल दिया बहु को बहुत गुस्सा आया उसने लकड़ी से खूब मारा और सारी खीर नाली में फेक दी निचे पेंदे में सांप की काचली दिखी तो बहु बहुत पछताई और मन में सोचा की मेने उस कुतिया को जबरन मारा उसने वापस खीर बनाई और ब्राह्मण- ब्राह्मणी को बड़े प्रेम से जिमाया और उस कुतिया को खाना भी नही दिया उधर बैल के मालिक ने भी उसको कुछ खाने को नही दिया अब रात को दोनो जने दरवाजे के बहार बैठ कर आपस मै बात करी कि आज तो अपना श्राद्ध करा और अपने को कुछ भी नही दिया खाने को ये बात बेटा ने सुनी तो आशचर्य हुआ और मन में सोचा कि आज तो अपने विधी विधान से सब करा फिर भी माँ बाप की मु्क्ति नही हुई वह ऋषि के पास गया और बोला इनकी मुक्ति कैसे होगी ऋषि ने कहा महाराज ऋषि पंचमी के दिन होगी
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