Thursday, June 9, 2016

हरियाली अमावस्या की कहानी


एक राजा था उसके एक बेटा बहू था बहू ने एक दिन मिठाई चोर कर खाली और नाम चूहा को लीयो ये सुनकर चूहा को गुस्सा आया उसने मन मे विचार करा की  अपन चोर को राजा के सामने लेकर आयेगे एक दिन राजा के घर में मेहमान आये थे और वे राजा के कमरे में सोये थे चूहा ने रानी के कपडे ले जाकर मेहमान के पास रख दिये सुबह उठकर सब लोग आपस में बात करने लगे की छोटी रानी के कपडे मेहमान के कमरे में मीले ये बात जब राजा ने सुनी तो छोटी रानी को घर से निकाल दिया वो रोज शाम को दिया जलाती और जवारा बोती थी पूजा करती गुडधानी का प्रशाद बाँटती थी एक दिन राजा शिकार करके उधर से निकले तो राजा की नजर उस रानी पर पडी । राजा ने घर आकर कहा की आज तो झाड के नीचे चमत्कारी चीज हैं अपन झाड के ऊपर जाकर बैठा देखो आपस में बात करे आज कोन कोन क्या क्या खाया ,कैसी कैसी पूजा करी । उस में से एक दियो बोला अपके मेरे जान पहचान  के अलावा कोई नही है आपने तो मेरी पूजा भी नही करी और भोग भी नही लगायो  बाकी के सब दिये बोले एसी क्या बाात हुई तब दियो बोला मे राजा के घर का हूँ उस राजा की एक बहू थी वह एक बार मिठाई चोर कर खाली और चूहा को नाम लें लीयो जब चूहा को गुस्सा आया तो रानी के कपडे मेहमान के कमरे में रख दिये राजा ने रानी को घर से निकाल दिया वो रोज मेरी पूजा करती थी भोग लगाती थी उसने रानी को आशीर्वाद दियो कहा भी रहे सुखी रहे  फिर सब लोग झाड पर से उतर घर आये और कहा की रानी का कोई दोष नही था राजा ने रानी को घर बुलाया और सुख से रहने लगे भूल चूक माफ करना ।

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