नृसिंह अवतार की कथा सतयुग की है । हिरण्य कश्यप और हरणायक्ष नाम के दो राजा थे उन्होने अपने पाप से राक्षस की योनी में जन्म लिया अब एक हरणायक्ष राक्षस था उसको तो वाराह रूपधारी भगवान ने मार डाला अब दूसरे राक्षस ने बहुत उधम मचा रखी थी वह भगवान का नाम तक नही लेने देता था उपवास व्रत भी नही करने देता था अब हिरण्य कश्यप की पत्नि को एक बालक का जन्म हुआ उसका नाम प्रहलाद था जब वह बालक पॉच वर्ष का हुआ तो उसे गूरू के पास विध्या पढने के लीये भेज दिया और उसके पिता ने भी उसे अलग अलग प्रकार की यातना दी कभी पहाड पर से गिराया कभी आग मै डाला कभी खम्बा गरम कर उसमे लपेटा लेकीन प्रहलाद ने राम का नाम लेना नही छोडा और आखिर मे भगवान ने नृसिंह अवतार धारण करके हिरण्य कश्यप राक्षस को मार डाला और प्रहलाद को बचा लीया
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